अगर दुनिया यह भी न करे तो अपने जीवन का उबाऊपन, कड़ुवाहटें, कटुताएं, धोखे के दर्द, स्वप्न साकार न कर पाने की पीड़ाएं, दुसरे के सुख से उपजे दुख, असफलताओं की चुभन यह सब लेकर किस दर पर दस्तक दें, कैसें भुलाएं वह इनको? कहां जाएं-क्या करें क्या आप उनको कुछ अच्छा और इससे आसान उपाय या युक्ति दे सकती हैं?
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एक दिन वे दोनों अपने मित्र श्रृगाल के पास गए और उस से अपना दुःख कहते हुए रो पड़े | उनके करुण वृतान्त को सुन कर श्रृगाल भी बहुत दुखी हुआ और बोला-” मित्र! चिंता करने से कुछ नहीं होगा | हम इस दुष्ट सर्प को शारीरिक बल से तो नहीं जीत सकते, क्यूंकि उसके बिषदन्त का ही प्रहार हमें यमलोक का रही बना देगा | परन्तु किसी उपाय या युक्ति से काम बन सकता है | मैं तुम्हें ऐसा उपाय बताऊंगा, जिस से तुम्हारा शत्रु अवश्य ही मारा जाएगा |